इसके बाद सर पर जालीदार टोपी धारण कर एकांत वाले कमरे में नमाज पढ़ने की अवस्था में बैठ जाए. उच्च कोटि के साधक यक्षिणी में स्वरूप या तो माँ स्वरूप लेते है या पुत्री स्वरूप. इसकी वजह है सही ज्ञान और मार्गदर्शन का अभाव. यक्षिणी साधना करने से पहले हम https://margotz852ikk0.ageeksblog.com/31421297/what-does-how-to-do-vashikaran-kaise-hota-hai-mean