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तन्हाई में खोया, अकेला हूँ मैं | Judai Aur Tanhai Ki Dastaan | Sad Ghazal | दर्द भरी ग़ज़ल

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चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है…” इंतज़ार करते करते एक और शाम बीत जाएगी !! धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है…” मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं यूं तो अकेला भी अक्सर गिर के संभल सकता हूँ मैं, मेरा कौन है ये सोचने https://youtu.be/Lug0ffByUck

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